Saturday, September 23, 2023

AIMPLB Reaches Supreme Court Before Hearing On Places Of Worship Act – प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट पर सुनवाई से पहले AIMPLB पहुंचा सुप्रीम कोर्ट


प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट पर सुनवाई से पहले AIMPLB पहुंचा सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली:

प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट यानी पूजास्थल कानून को लेकर सुनवाई से पहले ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. AIMPLB की तरफ से अदालत से अपील की गयी है कि पूजा स्थल अधिनियम 1991 के साथ हस्तक्षेप न की जाए. AIMPLB ने बाबरी दंगों और 1993 के मुंबई विस्फोटों के बीच लिंक पर श्रीकृष्ण पैनल की टिप्पणी का हवाला दिया है. POW Act की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर SC की अहम सुनवाई से दो दिन पहले ये हस्तक्षेप याचिका दायर की गयी है.

यह भी पढ़ें

गौरतलब है कि मुस्लिम पक्ष जमीयत-उलेमा-ए-हिंद और AIMPLB ने पहले सुप्रीम कोर्ट से पूजा स्थल अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिका में नोटिस जारी नहीं करने का आग्रह किया था. उनकी तरफ से कहा गया था कि यह बाबरी विध्वंस और अयोध्या फैसले के कारण हुए सांप्रदायिक विभाजन से अभी भी उबर रहे मुस्लिम समुदाय के मन में भय पैदा करेगा. साथ ही कहा गया था कि ये देश में अनगिनत मस्जिदों के खिलाफ मुकदमों की शुरुआत हो जाएगी. लेकिन 9 सितंबर को कोर्ट ने केंद्र को नोटिस जारी कर 11 अक्टूबर यानी सुनवाई की अगली तारीख तक अपना पक्ष रखने को कहा था.

दायर याचिका में कहा गया है कि मुंबई में हुए बम विस्फोटों के कारणों से निपटने के दौरान, आयोग ने स्पष्ट रूप से पाया था कि अगर दिसंबर 1992 और जनवरी 1993 में मुंबई में कोई दंगा नहीं हुआ होता, तो मार्च 1993 में बम विस्फोट नहीं होते और स्पष्ट रूप से कहा गया था कि दिसंबर 1992-जनवरी 1993 के दंगों और मार्च 1993 के बम विस्फोट के बीच एक संबंध है. उन दंगों की अगली कड़ी में हमारे देश ने फरवरी 2002 में एक नरसंहार देखा है जो कि गुजरात में मुसलमानों के व्यवस्थित नरसंहार के बाद साबरमती एक्सप्रेस कोचों को जलाने में हुआ था.

इस कानून का मुख्य उद्देश्य सार्वजनिक व्यवस्था की ऐसी गड़बड़ी को रोकना और सार्वजनिक शांति बनाए रखना और धर्मनिरपेक्षता की बुनियादी विशेषता को मजबूत करना है. पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 भारतीय राजनीति के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों को ध्यान में रखते हुए एक प्रगतिशील कानून है और प्रत्येक धार्मिक समूह के अधिकार को राज्य द्वारा समान रूप से व्यवहार करने का अधिकार देता है. साथ ही राज्य को विभिन्न धार्मिक समूहों के बीच तनाव के मामले में उदार तटस्थता अपनाकर अपने कार्यों को करने के लिए आदेश देता है.

ये भी पढ़ें- 

RJD की राष्ट्रीय बैठक : तेजस्वी के प्रमोशन पर छाए संशय के बादल, बैठक से बिदककर निकले तेजप्रताप

दिल्ली LG ने दी ‘नाइट कल्चर’ की बड़ी मंजूरी : होटल, रेस्टोरेंट समेत 314 प्रतिष्ठान अब खुले रहेंगे 24 घंटे !

चुनाव आयोग के आदेश के बाद उद्धव ठाकरे का नया दांव- सुझाए ये तीन नाम और चुनाव चिह्न



Source link

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

0FansLike
3,868FollowersFollow
0SubscribersSubscribe

Latest Articles

icon

We'd like to notify you about the latest updates

You can unsubscribe from notifications anytime