Wednesday, March 22, 2023

Bilkis Bano Case: SC Judge Justice Ajay Rastogi Questions Gujarat Government Affidavit Over Release Of 11 Culprits – रात को भारी भरकम हलफनामा, सुबह अखबारों में पढ़ा : बिलकिस बानो केस में जज ने उठाए सवाल


नई दिल्ली:

साल 2002 के गुजरात दंगों के दौरान बिलकिस बानो के साथ बलात्कार और उसके परिवार की हत्या के 11 दोषियों की रिहाई के खिलाफ आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस सीटी रविकुमार की बेंच मामले की सुनवाई कर रही है. याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस अजय रस्तोगी ने कहा, “इस मामले में रात को भारी भरकम हलफनामा दाखिल हुआ. हमने सुबह इसे अखबारों में पढ़ा.”

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जस्टिस रस्तोगी इतने पर ही नहीं रुके. उन्होंने हलफनामे पर सवाल उठाते हुए कहा, “जवाब में इतने फैसलों का हवाला क्यों दिया? तथ्यात्मक पहलू कहां हैं? विवेक आदि का प्रयोग कहां है?”

जस्टिस रस्तोगी ने कहा, “समझ नहीं आया कि जवाब में तथ्यात्मक बयान और विवेक का आवेदन कहां है? इतने ज्यादा फैसलों का जिक्र करने की जरूरत नहीं थी.” उन्होंने कहा, “हमारे इसे पढ़ने से पहले हमने इसमें मीडिया में पढ़ा.”

बिलकिस बानो के रेपिस्टों की बड़ी तेजी से हुई रिहाई, दो हफ्ते में ही केंद्र सरकार ने दे दी थी मंजूरी : 10 बातें

सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को गुजरात सरकार के हलफनामे पर जवाब दाखिल करने को कहा. याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्ब्ल ने गुजरात सरकार के हलफनामे का जवाब देने के लिए समय मांगा है.

 गुजरात सरकार की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल SG तुषार मेहता ने याचिका का विरोध करते हुए कहा, “अजनबी आपराधिक मामलों में अदालत नहीं जा सकते. याचिकाकर्ताओं का मामले से कोई लेना-देना नहीं है. इसलिए, यह तर्क सभी याचिकाकर्ताओं पर लागू होता है.” कोर्ट ने  29 नवंबर को अगली सुनवाई की तारीख तय की है.

बिलकिस बानो के दोषियों की रिहाई मामले में SC में जवाब दाखिल, समय से पहले ‘आजादी’ को ठहराया जायज

याचिका में गैंग रेप के दोषियों की समय से पहले रिहाई के ख़िलाफ़ सवाल उठाए गए हैं. मामले में दोषी ठहराए गए 11 लोगों को इस साल 15 अगस्त को गोधरा उप-जेल से रिहा कर दिया गया था. केंद्र सरकार ने सीबीआई की कड़ी आपत्तियों के बावजूद 11 दोषियों की रिहाई पर सहमति दी थी. गुजरात सरकार ने 28 जून को केंद्र की मंजूरी मांगी थी. मामले में गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर दोषियों की रिहाई का बचाव किया है. 



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