Sunday, April 2, 2023

Falling Rupee: Former Vice Chairman Of NITI Aayog Rajiv Kumar Said- No Reason To Worry Hindi News


नई दिल्ली :

अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया (Indian Rupee) रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच चुका है. एक डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत 80 रुपये तक पहुंच चुकी है. रुपये की गिरती कीमत ने चिंता को बढ़ा दिया है. हालांकि नीति आयोग (NITI Aayog) के पूर्व उपाध्यक्ष राजीव कुमार (Rajiv Kumar) ने कहा कि रुपये की गिरती कीमत खतरे की घंटी नहीं है. हमें रुपये की कमजोरी से डरना नहीं चाहिए. उन्होंने NDTV से बातचीत में कहा कि फिलहाल वैश्विक स्तर पर डॉलर मजबूत हो रहा है. 

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राजीव कुमार ने कहा कि यूरो और डॉलर लगभग समान हो गए हैं. यह आश्चर्य की बात है. पूरी दुनिया मंे डॉलर की मजबूती देखने को मिल रही है. यह काफी आश्चर्य की बात है. यह कहा जा रहा है कि काफी बड़ा रिसेशन आने वाला है, क्योंकि यूएस फेडरल ने ब्याज दरें बढ़ाई है. इसके बावजूद डॉलर की मजबूती आश्चर्य की बात है. उन्होंने कहा कि यही वजह है कि जब वैश्विक स्तर पर अनिश्चितता होती है तो सभी लोग लोग उस तरफ रुख करते हैं,  जहां उन्हें लगता है कि थोड़ी मजबूती है. ऐसे में लोग डॉलर में निवेश करना चाहते हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि हमारे लिए खतरे की घंटी जैसी बात नहीं है. हमारी अर्थव्यवस्था सुदृढ़ है और घबराने की जरूरत नहीं है. हम इस स्थिति से पार पा सकते हैं. 

उन्होंने कहा कि रुपया जब कमजोर होता है तो निर्यात करने वालों को ज्यादा रुपये मिलते हैं और उनका लाभ बढ़ जाता है. इससे निर्यात में प्रोत्साहन मिलता है. इसके चलते करंट अकाउंट डेफिसिट में जरूर कमी होगी. उन्होंने कहा कि रुपया कम होता है तो निर्यात बढ़ता है और आयात में कमी आना निश्चित है. उन्होंने कहा कि इन ‘ऑटोमेटिक स्टेबलाइजर‘ से हमें फायदा होता है. हमें रुपये की कमजोरी से डरना नहीं चाहिए. निर्यात बढ़ेगा तो रोजगार भी बढ़ेगा. 

उन्होंने कहा कि आरबीआई ने अपनी पॉलिसी के अनुकूल कदम उठाए हैं. इसके मुुताबिक जो भी कुछ होना है, उसमें ज्यादा उतार-चढ़ाव न हो. मैनेज्ड चेंज होना चाहिए, इसलिए उन्होंने इसे लेकर कदम उठाए हैं. एक्सचेंज रेट में ज्यादा उछाल न आए, तब तक हमें इसे स्वीकार करना चाहिए. अभी स्तर अनुकूल है. 

राहुल कुमार ने कहा कि बाहरी निवेश को लाने की जरूरत है. उन्हें आकर्षित करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि बाहर की कंपनियां चीन से निकलने की तैयारियां कर रही हैं, वहां पर रिस्क बहुत ज्यादा हो गया है, उन्हें हम कैसे आकर्षित करें और कंपनी आधारित पॉलिसी बनाएं. उन्होंने कहा कि अगर विश्व में अनिश्चितता बनी रहेगी तो डॉलर की मांग बढ़ती जाएगी और बाकी सारी मुद्राएं कमजोर होंगी. यह मानकर चलना चाहिए. साथ ही कहा कि बहुत ज्यादा चिंतित नहीं होना चाहिए,

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