Tuesday, March 28, 2023

Jivitputrika Vrat 2022 Date Time Shubh Muhurat And Puja Jitiya Kab Hai – Jivitputrika Vrat 2022: संतान की लंबी उम्र और खुशहाली के लिए रखा जाता है जितिया व्रत, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि


Jivitputrika Vrat 2022: संतान की लंबी उम्र और खुशहाली के लिए रखा जाता है जितिया व्रत, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Jivitputrika Vrat 2022: इस दिन रखा जितिया या जीवित्पुत्रिका का व्रत रखा जाएगा.

Jivitputrika Vrat 2022: जितिया पर्व हर साल आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है. इसे जीवित्पुत्रिका व्रत (Jivitputrika Vrat) के नाम से भी जाना जाता है. इसके अलावा इस पर्व को जिउतिया, जितिया (jitiya vrat 2022) इत्यादि के नाम से भी जाना जाता है. महिलाएं संतान सुख की पूर्ति और उसकी लंबी उम्र के लिए इस व्रत रखती हैं. मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से बच्चों की समृद्धि और उन्नति होती है. यह व्रत बेहद कठिन माना जाता है. व्रत के दौरान जल का सेवन भी नहीं किया जाता है. इस साल जितिया व्रत 18 सितंबर को रखा जाएगा. आइए जानते हैं कि जितिया व्रत की तारीख, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में. 

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जितिया (जीवित्पुत्रिका) व्रत कब है | Jivitputrika vrat 2022 Date

जितिया व्रत आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि से लेकर नवमी तिथि तक रखा जाता है. इस साल यह व्रत 18 सितंबर की रात से शुरू होकर 19 सितंबर 2022 तक चलेगा.

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जितिया व्रत शुभ मुहूर्त | Jivitputrika vrat Shubh Muhurat

पंचांग के अनुसार, इस बार जितिया पर्व (Jitiya Festival) के लिए अष्टमी तिथि की शुरुआत 17 सितंबर को दोपहर 2 बजकर 14 मिनट से हो रही है. जबकि अष्टमी तिथि की समाप्ति 18 सितंबर को दोपहर 4 बजकर 32 मिनट पर होगी. उदया तिथि की मान्यता के अनुसार, जितिया का व्रत 18 सितंबर को रखा जाएगा. इसके अलावा व्रत का पारण (jitiya vrat 2022 Parana) 19 सितंबर को किया जाएगा. व्रत का पारण 19 सितंबर को सुबह 6 बजकर 10 मिनट के बाद किया जा सकता है. 

जितिया की पूजन विधि | Jivitputrika Pujan Vidhi

जितिया (Jitiya Vrat 2022) के दिन जीमूतवाहन की पूजा की जाती है. धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक अष्टमी तिथि के दिन प्रदोष काल में तलाब के निकट कुश से जीमूतवाहन की मूर्ति बनाई जाती है. चील और मादा सियार की मूर्तियां भी गोबर से बनाई जाती हैं. पूजन में सबसे पहले जीमूतवाहन को धूप, दीप, फूल और अक्षत चढ़ाया जाता है. इसके साथ ही चील और सियार को लाला सिंदूर से टीका लगाया जाता है. इसके बाद व्रत कथा का पाठ किया जाता है. पूजा के अंत में जीमूतवाहन भगवान की आरती की जाती है. पूजन में पेड़ा, दूब, खड़ा चावल, 16 गांठ का धागा, इलाईची, पान-सुपारी और बांस के पत्ते भी चढ़ाए जाते हैं. जितिया के पूजन में सरसों का तेल और खली भी चढ़ाई जाती है, जिसे बुरी नजर दूर करने के लिए अगले दिन बच्चों के सिर पर लगाया जाता है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)



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