Friday, June 9, 2023

Supreme Courts Grants Interim Bail To Fact-checker Mohd Zubair In All UP Cases – फैक्ट-चेकर ज़ुबैर को UP के सभी मामलों में अंतरिम ज़मानत, जानें – सुप्रीम कोर्ट में क्या-क्या हुआ


नई दिल्ली:

Alt-News के को-फाउंडर व फैक्ट चेकर मोहम्मद जुबैर को सुप्रीम कोर्ट से UP के सभी मामलों में अंतरिम ज़मानत दे दी है. सुप्रीम कोर्ट ने जुबैर के खिलाफ सभी FIR दिल्ली पुलिस को ट्रांसफर कर दी हैं. वहीं, जुबैर के खिलाफ गठित यूपी की SIT भी भंग हो गई है. कोर्ट के आदेश के मुताबिक, जुबैर को इसी मामले में कोई नई FIR दर्ज होने पर भी संरक्षण रहेगा. वो अगर चाहे तो दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर FIR रद्द करने की मांग कर सकते हैं. कोर्ट ने उन्हें 20,000 रुपये के मुचलके पर सभी छह एफआईआर में जमानत दे दी है.

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 20 हजार का पर्सनल बेल बॉन्ड पटियाला हाउस कोर्ट के CMM के यहां दिया जाए. उसके तुरंत बाद जुबैर को रिहा कर दिया जाएगा. उनकी आज ही 6 बजे तक तिहाड़ जेल से रिहाई कर दी जाए.

कोर्ट ने कहा है कि अब जुबैर के खिलाफ सभी मामलों की जांच दिल्ली पुलिस करेगी और मामला दिल्ली हाईकोर्ट के क्षेत्राधिकार में रहेगा. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने 6 FIR रद्द करने से इनकार कर दिया है. इसके लिए अभियुक्त को दिल्ली हाईकोर्ट से अपील करने को कहा है. कोर्ट ने कहा कि “उनको लगातार जेल में रखने का कोई औचित्य नहीं है, उन्हें तत्काल जमानत दें.” कोर्ट ने कहा कि किसी नई एफआईआर में उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जाए.

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ट्वीट करने से रोकने की मांग खारिज

SC ने जुबैर को ट्वीट करने से रोकने की यूपी सरकार की मांग को भी खारिज कर दिया और कहा कि “हम ऐसा कैसे कह सकते हैं? यह एक वकील से बहस न करने के लिए कहने जैसा है. एक व्यक्ति को बोलने के लिए नहीं. वह जो कुछ भी करता है, वह कानून में जिम्मेदार होगा. लेकिन हम एक पत्रकार को नहीं लिखने के लिए नहीं कह सकते हैं.”

यूपी सरकार ने सुनवाई में क्या कहा?

बता दें कि आज यूपी सरकार ने शीर्ष अदालत में जुबैर की याचिका के खिलाफ सख्त दलीलें दी थीं. सरकार ने अपनी दलील में कहा कि “आरोपी पत्रकार नहीं हैं. वह खुद को फैक्ट चेकर कहते हैं. इनके ट्वीट ज़हर फैला रहे हैं. उन्हें इन ट्वीट्स के लिए पैसे मिलते हैं. उन्हें दुर्भावनापूर्ण ट्वीट्स के लिए अधिक पैसा मिलता है. यूपी पुलिस को सूचित करने के बजाय वह उन वीडियो और भाषणों का लाभ उठाते हैं जो सांप्रदायिक विभाजन पैदा कर सकते हैं.”

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सरकार ने यह भी कहा कि जुबैर को हर महीने 12 लाख रुपये मिलते हैं और “ट्वीट के लिए खुद जुबैर ने माना है कि उन्हें 2 करोड़ रुपये मिले.”



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